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Indian Railway reservation

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Tuesday, December 6, 2011

पृथ्वी से भी बड़ा ग्रह मिला, यहां बसेगी इंसानी बस्ती

http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/11006756.cms
लंदन।। नासा के साइंटिस्टों ने सोलर सिस्टम से बाहर एकधरतीनुमा ग्रह की खोज की है जिसके बारे में उन्होंने कहा हैकि यह भविष्य में इंसानों का नया बसेरा हो सकता है। 

नासा की एक टीम का कहना है कि केपलर 22बी नामकयह ग्रह 600 प्रकाश वर्ष की दूरी पर है और इसका आकारपृथ्वी से 2-4 गुना बड़ा है। इसका तापमान 22 डिग्रीसेल्सियस है। पृथ्वी- 2' हमारे सबसे करीब पृथ्वी जैसा ग्रहहै। 

देखें पृथ्वी से भी बड़े नये ग्रह की तस्वीरें 

साइंटिस्टों ने अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी के केपलर टेलिस्कोपकी सहायता से इस नए ग्रह की पुष्टि की। इस ग्रह पर जमीनऔर पानी दोनों है और संभावित जीवन के लिए उचितइन्वाइरनमेंट भी है। किसी भी ग्रह पर जीवन की संभावनाहोने के लिए उसका अपने मुख्य तारे से उचित दूरी होना जरूरी है ताकि वह ना तो ज्यादा गर्म हो और ना ठंडा। साइंटिस्टों के इस दल का कहना है कि केपलर -22 बी कीअपने तारे से दूरी जीवन की संभावनाओं की उम्मीद जगाने वाली है। 

हालांकि दल को अब तक पता नहीं चला है कि केपलर -22 बी चट्टान गैस या लिक्विड से बना है। इस ग्रह परएक साल 290 दिनों का होता है। इसको सबसे पहले दो साल पहले देखा गया। नासा में केपलर के चीफ रिसर्चरबिल बोरुची ने कहा , ' केपलर -22 बी के रूप में हमें एक ऐसा ग्रह मिला है जिस पर जीवन के लिए जरूरी सारेतत्व मौजूद हैं। 

उन्होंने कहा , ' इस ग्रह पर जीवन के लिए जरूरी सारे तत्व मौजूद हैं और अगर इस पर सतह मौजूद है तो यहांका तापमान भी इसके अनुकूल होना चाहिए। अपने सोलर सिस्टम से बाहर अब ऐसे तीन ग्रह हैं जहां साइंटिस्टोंको अगली पीढ़ियों के लिए जीवन होने की संभावना दिखती है।

Thursday, December 1, 2011

Long-lasting, near infrared-emitting material invented


Long-lasting, near infrared-emitting material invented
Materials that emit visible light after being exposed to sunlight are commonplace and can be found in everything from emergency signage to glow-in-the-dark stickers. But until now, scientists have had little success creating materials that emit light in the near-infrared range, a portion of the spectrum that only can be seen with the aid of night vision devices.

Researchers at the University of Georgia have developed a new material that emits a long-lasting near-infrared glow after a single minute of exposure to sunlight. By mixing it with paint, they were able to draw an image of the university's logo. (Credit: Image courtesy of University of Georgia)

Tuesday, November 29, 2011

आर्यावर्त: बैंक ऑफ इंडिया से करोड़ों रुपए की हेराफेरी.
बिहार के मुज़फ्परपुर में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया गोबरसही शाखा से करोड़ों रुपए की हेराफेरी का पता चला है. बीसीसीएल धनबाद के खाते के लगभग 29.25 करोड़ रुपए उत्तर प्रदेश के पीएनबी की मोदीनगर शाखा में ट्रांसफर कर दिए गए हैं. जब से इस बात का पता चला है बैंक में हड़कंप मच गया है. फिलहाल विजिलेंस की टीम मामले की जांच में जुट गई है.

25 नवंबर की सुबह 10.30 बजे से 11.00 बजे के दौरान रियल टाइम ग्रास सेटलमेंट से दो बार बीसीसीएल धनबाद के खाते से रुपए उत्तर प्रदेश स्थित पीएनबी शाखा में ट्रांसफर किए गए. पहली बार में 15.75 करोड़ और दूसरी बार में 13.50 करोड़ रुपए ट्रांसफर किए गए.

बैंक शाखा जब 26 नवंबर को खुली तो इस गड़बड़ी की भनक लगी. इसके बाद मामले की जांच शुरू हुई और प्रधान कार्यालय के अधिकारियों ने छानबीन की. लेकिन किसी को कोई वाउचर नहीं मिला. इतना ही नहीं विजिलेंस टीम और डीजीएम स्तर के अधिकारियों ने भी मामले की जांच की लेकिन कुछ पता नहीं चला. इसके बाद अधिकारियों ने तुरंत उत्तर प्रदेश की मोदीनगर ब्रांच से संपर्क साधा और खाते को फ्रीज़ कराया.

Tuesday, November 22, 2011

LIGHTNING FROM SPACE



Sunday, November 20, 2011

Facts


The Milky Way is like NGC 4594 (pictured), a disc shaped spiral galaxy with around 200 billion stars. Above and below the galactic plane there is a halo, which includes older stars dating back to the galaxy’s childhood billions of years ago. In principle they should all be primitive and poor in heavy elements like gold, platinum and uranium. New research shows that the explanation lies in violent jets from exploding giant stars. (Credit: Image courtesy of University of Copenhagen)


Reconstruction of a small section from the previous image, showing the relative thickness of each blood vessel in the network (color-coded by thickness). The area depicted in the image is about 0.275 millimeters across. (Credit: Biomedical Optics Express.)


Just as in humans, there are also the tough types or those with a more delicate personality among mice. (Credit: © Phoebe / Fotolia)
ScienceDaily (Nov. 14, 2011) — Just as in humans, there are also the tough types or those with a more delicate personality among mice, as Eneritz Gómez, a psychologist at the University of the Basque Country (UPV/EHU), has been able to confirm. Some adopt an active strategy when faced with stress situations and somehow try to tackle the problem, whereas others display a passive attitude. Those in the second group are more vulnerable: some of the physiological characteristics resemble those attributed to human depression.

Sunday, July 17, 2011

Fwd: TRUE STORY OF TAJMAHAL





ताजमहल..... मकबरा नहीं............ अति प्राचीन शिव मंदिर है

 यह पोस्ट हमें मेल द्वारा  blogtaknik के माध्यम से मिली, हमें लगा की यह जानकारी भरी पोस्ट सबके सामने आनी चाहिए. 

ॐ सनातन परमोधर्मॐ पुस्तक" TAJ MAHAL - THE TRUE STORY" द्वारा

 बी.बी.सी. कहता है...........
ताजमहल...........
एक छुपा हुआ सत्य..........
कभी मत कहो कि.........
यह एक मकबरा है..........

ताजमहल का आकाशीय दृश्य......

 


निचले तल के२२गुप्त कमरों मे सेएककमरा...

आँगन में शिखर के छायाचित्र कि बनावट...

आतंरिक पानी का कुंवा............

कमरों के मध्य 300फीट लंबा गलियारा..

एक बंद कमरे की वैदिक शैली में निर्मित छत...

शिखर के ठीक पास का दृश्य.....

मकबरे के पास संगीतालय........एक विरोधाभास.........

विशेषतः वैदिक शैली मे निर्मित गलियारा.....

बहुत से साक्ष्यों को छुपाने के लिए,गुप्त ईंटों से बंद किया गया दरवाजा......

प्रवेश द्वार पर बने लाल कमल........

ताज के पिछले हिस्से का दृश्य और बाइस कमरों का समूह........

ऊपरी तल पर स्थित एक बंद कमरा.........

निचले तल पर स्थित संगमरमरी कमरों का समूह.........

ईंटों से बंद किया गया विशाल रोशनदान .....

गुम्बद और शिखर के पास का दृश्य.....

पीछे की खिड़कियाँ और बंद दरवाजों का दृश्य........

ताजमहल और गुम्बद के सामने का दृश्य


दीवारों पर बने हुए फूल......जिनमे छुपा हुआ है ओम् ( ॐ ) ....


निचले तल पर जाने के लिए सीढियां........

दरवाजों मेंलगी गुप्त दीवार,जिससे अन्य कमरों का सम्पर्क था.....
बुरहानपुर मध्य प्रदेश मे स्थित महल जहाँ मुमताज-उल-ज़मानी कि मृत्यु हुई थी......

बादशाह नामा के अनुसार,, इस स्थान पर मुमताज को दफनाया गया.........
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अब कृपया इसे पढ़ें ......... 
प्रो.पी. एन. ओक. को छोड़ कर किसी ने कभी भी इस कथन को चुनौती नही दी कि........ 
"ताजमहल शाहजहाँ ने बनवाया था"
प्रो.ओक. अपनी पुस्तक"TAJ MAHAL - THE TRUE STORY" द्वारा इस 
बात में विश्वास रखते हैं कि,--
  सारा विश्व इस धोखे में है कि खूबसूरत इमारत ताजमहल को मुग़ल बादशाह शाहजहाँ ने बनवायाथा.....
 
ओक कहते हैं कि...... 
ताजमहल प्रारम्भ से ही बेगम मुमताज का मकबरा न होकर,एक हिंदू प्राचीन शिव मन्दिर है जिसे तब तेजो महालय कहा जाता था. 
अपने अनुसंधान के दौरान ओक ने खोजा कि इस शिव मन्दिर को शाहजहाँ ने जयपुर के महाराज जयसिंह से अवैध तरीके से छीन लिया था और इस पर अपना कब्ज़ा कर लिया था,,
  => शाहजहाँ के दरबारी लेखक"मुल्ला अब्दुल हमीद लाहौरी"ने अपने"बादशाहनामा"में मुग़ल शासक बादशाह का सम्पूर्ण वृतांत 1000  से ज़्यादा पृष्ठों मे लिखा है,,जिसके खंड एक के पृष्ठ 402 और 403 परइस बात का उल्लेख है किशाहजहाँ की बेगम मुमताज-उल-ज़मानी जिसे मृत्यु के बादबुरहानपुर मध्य प्रदेश में अस्थाई तौर पर दफना दिया गया थाऔरइसके ०६ माह बाद,तारीख़ 15 ज़मदी-उल- अउवल दिन शुक्रवार ,को अकबराबाद आगरा लाया गयाफ़िर उसे महाराजा जयसिंह से लिए गए,आगरा में स्थित एक असाधारण रूप से सुंदर और शानदार भवन (इमारते आलीशान) मे पुनः दफनाया गया,लाहौरी के अनुसार राजा जयसिंह अपने पुरखों कि इस आली मंजिल से बेहद प्यार करते थे ,पर बादशाह के दबाव मे वह इसे देने के लिए तैयार हो गए थे. 
  इस बात कि पुष्टि के लिए यहाँ ये बताना अत्यन्त आवश्यक है कि जयपुर के पूर्व महाराज के गुप्त संग्रह मेंवे दोनो आदेश अभी तक रक्खे हुए हैंजो शाहजहाँ द्वारा ताज भवन समर्पित करने के लिए राजा 
जयसिंह को दिए गए थे....... 

  =>यह सभी जानते हैं कि मुस्लिम शासकों के समय प्रायः मृत दरबारियों और राजघरानों के लोगों को दफनाने के लिएछीनकर कब्जे में लिए गए मंदिरों और भवनों का प्रयोग किया जाता था 
उदाहरनार्थ हुमायूँअकबरएतमाउददौला और सफदर जंग ऐसे ही भवनों मे दफनाये गए हैं .... 
  =>प्रो. ओक कि खोज ताजमहल के नाम से प्रारम्भ होती है--------- 
  ="महलशब्दअफगानिस्तान से लेकर अल्जीरिया तक किसी भी मुस्लिम देश में
भवनों के लिए प्रयोग नही किया जाता... 

यहाँ यह व्याख्या करना कि महल शब्द मुमताज महल से लिया गया है......वह कम से कम दो प्रकार से तर्कहीन है--------- 
पहला -----शाहजहाँ कि पत्नी का नाम मुमताज महल कभी नही था,,,बल्कि उसका नाम मुमताज-उल-ज़मानी था ... 
और दूसरा-----किसी भवन का नामकरण किसी महिला के नाम के आधार पर रखने के लिए केवल अन्तिम आधे भाग (ताज)का ही प्रयोग किया जाए और प्रथम अर्ध भाग (मुम) को छोड़ दिया जाए,,,यह समझ से परे है... 
  प्रो.ओक दावा करते हैं कि,ताजमहल नाम तेजो महालय (भगवान शिव का महल) का बिगड़ा हुआ संस्करण हैसाथ ही साथ ओक कहते हैं कि---- 
मुमताज और शाहजहाँ कि प्रेम कहानी,चापलूस इतिहासकारों की भयंकर भूल और लापरवाह पुरातत्वविदों की सफ़ाई से स्वयं गढ़ी गई कोरी अफवाह मात्र है क्योंकि शाहजहाँ के समय का कम से कम एक शासकीय अभिलेख इस प्रेम कहानी की पुष्टि नही करता है.....
   इसके अतिरिक्त बहुत से प्रमाण ओक के कथन का प्रत्यक्षतः समर्थन कर रहे हैं......
तेजो महालय (ताजमहल) मुग़ल बादशाह के युग से पहले बना था और यह भगवान् शिव को समर्पित था तथा आगरा के राजपूतों द्वारा पूजा जाता था----- 

==>न्यूयार्क के पुरातत्वविद प्रो. मर्विन मिलर ने ताज के यमुना की तरफ़ के दरवाजे की लकड़ी की कार्बन डेटिंग के आधार पर 1985 में यह सिद्ध किया कियह दरवाजा सन् 1359 के आसपास अर्थात् शाहजहाँ के काल से लगभग 300 वर्ष पुराना है... 
==>मुमताज कि मृत्यु जिस वर्ष (1631) में हुई थी उसी वर्ष के अंग्रेज भ्रमण कर्ता पीटर मुंडी का लेख भी इसका समर्थन करता है कि ताजमहल मुग़ल बादशाह के पहले का एक अति महत्वपूर्ण भवन था......
==>यूरोपियन यात्री जॉन अल्बर्ट मैनडेल्स्लो ने सन् 1638 (मुमताज कि मृत्यु के 07 साल बाद) में आगरा भ्रमण किया और इस शहर के सम्पूर्ण जीवन वृत्तांत का वर्णन किया,,परन्तु उसने ताज के बनने का कोई भी सन्दर्भ नही प्रस्तुत किया,जबकि भ्रांतियों मे यह कहा जाता है कि ताज का निर्माण कार्य 1631 से 1651 तक जोर शोर से चल रहा था......
==>फ्रांसीसी यात्री फविक्स बर्निअर एम.डी. जो औरंगजेब द्वारा गद्दीनशीन होने के समय भारत आया था और लगभग दस साल यहाँ रहा,के लिखित विवरण से पता चलता है कि,औरंगजेब के शासन के समय यह झूठ फैलाया जाना शुरू किया गया कि ताजमहल शाहजहाँ ने बनवाया था.......
प्रो. ओक. बहुत सी आकृतियों और शिल्प सम्बन्धी असंगताओं को इंगित करते हैं जो इस विश्वास का समर्थन करते हैं कि ,ताजमहल विशाल मकबरा न होकर विशेषतः हिंदू शिव मन्दिर है....... 
आज भी ताजमहल के बहुत से कमरे शाहजहाँ के काल से बंद पड़े हैं,जो आम जनता की पहुँच से परे हैं 
प्रो. ओक.जोर देकर कहते हैं कि हिंदू मंदिरों में ही पूजा एवं धार्मिक संस्कारों के लिए भगवान् शिव की मूर्ति,त्रिशूल,कलश और ॐ आदि वस्तुएं प्रयोग की जाती हैं....... 
==>ताज महल के सम्बन्ध में यह आम किवदंत्ती प्रचलित है कि ताजमहल के अन्दर मुमताज की कब्र पर सदैव बूँद बूँद कर पानी टपकता रहता है,, यदि यह सत्य है तो पूरे विश्व मे किसी किभी कब्र पर बूँद बूँद कर पानी नही टपकाया जाता,जबकि प्रत्येक हिंदू शिव मन्दिर में ही शिवलिंग पर बूँद बूँद कर पानी टपकाने की व्यवस्था की जाती है,फ़िर ताजमहल (मकबरे) में बूँद बूँद कर पानी टपकाने का क्या मतलब....???? 
राजनीतिक भर्त्सना के डर से इंदिरा सरकार ने ओक की सभी पुस्तकें स्टोर्स से वापस ले लीं थीं और इन पुस्तकों के प्रथम संस्करण को छापने वाले संपादकों को भयंकर परिणाम भुगत लेने की धमकियां भी दी गईं थीं....
प्रो. पी. एन. ओक के अनुसंधान को ग़लत या सिद्ध करने का केवल एक ही रास्ता है कि वर्तमान केन्द्र सरकार बंद कमरों को संयुक्त राष्ट्र के पर्यवेक्षण में खुलवाएऔर अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों को छानबीन करने दे .... 
  ज़रा सोचिये....!!!!!!
  कि यदि ओक का अनुसंधान पूर्णतयः सत्य है तो किसी देशी राजा के बनवाए गए संगमरमरी आकर्षण वाले खूबसूरत,शानदार एवं विश्व के महान आश्चर्यों में से एक भवन, "तेजो महालयको बनवाने का श्रेय बाहर से आए मुग़ल बादशाह शाहजहाँ को क्यों......?????   
तथा...... 
  इससे जुड़ी तमाम यादों का सम्बन्ध मुमताज-उल-ज़मानी से क्यों........???????
  

 आंसू टपक रहे हैंहवेली के बाम से,,,,,,,,
रूहें लिपट के रोटी हैं हर खासों आम से.....
अपनों ने बुना था हमें
,कुदरत के काम से,,,,
 
फ़िर भी यहाँ जिंदा हैं हम गैरों के नाम से......
  



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