वैज्ञानिकों के एक अंतरराष्ट्रीय दल ने पता लगाया है कि गुजरात के विभिन्न हिस्सों में पाए जाने वाले अजगर जैसे साँप करीब 6.7 करोड़ वर्ष पूर्व छोटे डायनासोरों को निगल जाते थे।
मिशिगन विश्वविद्यालय के जेफ विल्सन तथा भारतीय भूविज्ञान सर्वेक्षण के धनंजय मोहाबे के नेतृत्व में जीवाश्म वैज्ञानिकों के एक दल ने अहमदाबाद से करीब 130 किलोमीटर दूर स्थित ढोली डुंगरी गाँव में साँप तथा डायनासोर के जीवाश्मों का पता लगाया है।
जीवाश्म वैज्ञानिकों का मानना है कि ये सांप छिपकली जैसे पैरों वाले ‘सौरोपोड’ डायनासोरों को उनके अंडों से बाहर निकलने के तुरंत बाद निगल लेते थे।
वैज्ञानिकों ने ‘पीएलओएस बायलॉजी’ में प्रकाशित अपने अध्ययन में कहा कि नए जीवाश्म साँपों के डायनासोरों को शिकार करने के पहले प्रमाण देते हैं। यह डायनासोरों को गैरडायनासोर जंतुओं द्वारा शिकार बनाये जाने का दुर्लभ उदाहरण है।
लगभग पूर्ण रूप से विकसित एक साँप के अवशेष ‘सौरोपोड’ डायनासोर के घोंसले में पाये गये हैं। वयस्क ‘सौरोपोड’ की गिनती इस पृथ्वी पर हुए अब तक के सबसे विशाल प्राणियों में होती है।
जीवाश्म में साँप अंडे से बाहर निकले डाइनासोर से लिपटा पाया गया है। अंडों को अपनी जकड़ में लिए अन्य साँप के अवशेष ये संकेत देते हैं कि साँप इन छोटे डायनासोरों को अपना शिकार बना लेते थे।
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