बोस्टन। देशद्रोह के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे बिनायक सेन को अमेरिका में भारी समर्थन मिल रहा है। वहां के भारतीय मूल के मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने शनिवार को प्रदर्शन किया।
पिछले दिनों सेन और उनके सहयोगी नारायण सान्याल और कोलकाता के कारोबारी पीयूष गुहा को छत्तीसगढ़ की एक अदालत ने देशद्रोह और नक्सलियों से सांठगांठ का दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई।
गौरतलब है कि सेन को मिली सजा के खिलाफ भारत में भी मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने विरोध जताया है। एमनेस्टी इंटरनेशनल के मुताबिक, इस मामले में निष्पक्ष सुनवाई के अंतर्राष्ट्रीय मानकों को उल्लंघन हुआ है।
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, बोस्टन में मानवाधिकार संगठनों के लोग एकत्र हुए और अपना विरोध जताया। क्रिस्चियन मेडिकल कॉलेज के होनरेन वार्ड के मुताबिक, उन्होंने वेल्लोर में दो सप्ताह पहले सेन और उनकी पत्नी से मुलाकात की थी। दोनों ने भारत छोड़कर कहीं और जाने के बारे में कभी सोचा ही नहीं है।सेन ने जमीनी स्तर पर कुछ काम आरंभ किए हैं, जिन्हें पूरा करना उनकी प्राथमिकता है।
बोस्टन की स्वयंसेवी संगठन 'एड-बोस्टन' के गर्ग चटर्जी ने इस सजा पर आश्चर्य प्रकट करते हुए कहा कि इससे भारतीय न्यायपालिका में हमारे विश्वास को झटका लगा है। हम कभी नहीं सोच सकते थे कि लोकतांत्रिक
भारत में लोगों की आवाज कुचली जा सकती है।
दैनिक भास्कर के सौजन्य से
No comments:
Post a Comment